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अगर पूजा के दौरान इन छः नियमों का पालन करेंगे तो, भगवान से कि हर मन्नत हो जाएगी पूरी.. जानिए नियम..

Jun 21 2019

Posted By:  AMIT

दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे है भगवान की प्राथना करते समय पालन किए जाने वाले कुछ नियमों के बारे में | हम में से लगभग सभी लोग पूजा के महत्त्व को जानते होंगे, पूजा-आराधना में वो शक्ति होती है जो कई बार हमें जीवन जीने में मददगार साबित होती हैं |


प्राथना का मतलब किसी से किया गया निवेदन, वैसे तो प्रार्थना के कई अर्थ होते हैं | शास्त्र कहता है निवेदन पूर्वक मांगना यानी प्रार्थना, और वहीं अध्यात्म कहता है सच्चे मन से फल की कामना करना या पवित्र मन से अर्चन करना | जब संसार के समक्ष झुक कर हम कुछ मांगते है, तो वो प्रार्थना नहीं, सहज निवेदन होता हैं | लेकिन जब यही निवेदन संसार से परे, परमात्मा को खुश करने के लिए हो तो वो प्रार्थना बन जाती हैं | 

शास्त्रों के अनुसार प्रार्थना और मन्नत में काफी अंतर है, मन्नत भगवान से कुछ पाने के लिए की जाती है जबकि प्रार्थना स्वयं भगवान को पाने के लिए की जाती हैं | सिर्फ मंत्रों से, या फिर हाथ जोड़कर बैठ जाने से, मंदिर या मूर्तियों की परिक्रमा करने से या केवल प्रसाद बाटने से ही प्रार्थना नहीं होती, बल्कि प्रार्थना तब होती हैं | जब हम सच्चे मन से कुछ बोलते है और वहीं भगवान के लिए प्रसाद और चढ़ावे से बढ़कर उनके भक्त होते हैं | वे अपने भक्तों की हर मुराद और मनोकामनाएं पूरी करते हैं | 

कुछ ऐसी बातें जो हमें प्रार्थना में ध्यान रखनी चाहिए



1) 
शास्त्रों के मुताबिक भगवान के चरणों में समर्पित होना है तो सबसे पहले हमें अपनी वासनाओं का त्याग करना पड़ेगा | संतो ने इसका वर्णन करते हुए तीन उदाहरण दिए हैं- पुत्रेष्णा, वित्तेषणा और लोकेषणा |

2) 
वहीं जहां तक सम्भव हो, कोशिश करें कि प्रार्थना एकांत में की जाए, न कि अकेले में |  एकांत और अकेलेपन में काफी अंतर होता है, अकेलापन अवसाद को जन्म देता है जबकि एकांत का अर्थ है आप बाहरी आवरण में अकेले हैं | लेकिन फिर भी मन के भीतर परमात्मा साथ हैं |

3) 
हम जीवन में सिर्फ तमाम सुख सुविधाओं के लिए, अपनी मांगे पूरी करने के लिए या खुशहाली मांगने के लिए ही भगवान के पास जाना इसे प्रार्थना नही कहते हैं | जब जब परमात्मा से उसी को मांग लिया जाए, अपने जीवन में उसके पदार्पण की मांग हो, वो प्रार्थना हैं | इसलिए इसमें परमात्मा से सिर्फ उसी की मांग हो, जिस दिन हम स्वयम ईश्वर को ही अपने जीवन में मांगने लगेंगे, इससे सारे सुख अपने आप आपके जिंदगी में आने लगेंगे |

4) 
शास्त्रों के अनुसार हमेसा प्रार्थना में निःस्वार्थ भाव प्रगट होना चाहिए, भगवान से जब भी कोई चीज़ मांगे, तो दूसरों के लिए भी अवश्य कुछ न कुछ जरूर मांगे | इसलिए कोशिश करे कि भगवान से ऐसे लोगों के लिए भी प्रार्थना करें जो आपसे जुड़ा नही हो, जिससे आपको कोई लाभ या हानि न हो | अगर आप दूसरों के लिए अच्छा मांगेंगे तो आप स्वयं अपने लिए भी अच्छा जरूर पाएंगे |

5) 
आज कल की दौड़ भरी जिंदगी में इंसान खुद के लिए बिल्कुल समय नहीं निकाल पाता, इसलिए कोशिश करे की खुद के लिए समय निकाल सको, कम से कम सप्ताह में या महीने में कुछ समय ऐसा निकाले जब आप के साथ सिर्फ आप खुद हो | तो हमेसा खुद से सवाल पूछें और कहा गलती हो रही है, उस गलती को कैसे सुधार जा सकता है, परमात्मा और आत्मिक शांति के लिए आज तक क्या किया है ये सिर्फ आप खुद ही जानते हैं | 


6) 
जीवन में खुद को आजमाना भी सीखें, और कभी ये मत सोचिए की आप अकेले हैं | अगर जिंदगी के किसी मोड़ पर आपको लगने लगे की आप हिम्मत हार रहे है तो एक पल भगवान का स्मरण जरूर करें | शायद आपकी बात भगवान तक पहुंच ही नहीं पा रही है, इसलिए जीवन में ऐसी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हैं | दोबारा नई ऊर्जा के साथ अपना तन-मन-धन भगवान के चरणों में अर्पित कर दीजिए और ये याद रखिये, कि सिर्फ वो ही है जो आपकी हर तकलीफों को दूर कर सकते हैं | 
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